अधिकारी कुछ नहीं कर रहे इसलिए झील में फैली जलकुंभी हाल ही में एडवोकेट निपुण सक्सेना द्वारा ग्वालियर हाई कोर्ट में चांदपाठा झील को लेकर लगाई गई याचिका में उनकी दलीलों को सुनने के उपरांत हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया कि इस ऐतिहासिक झील में जलकुंभी विभिन्न विभागों की लापरवाही के कारण फैली है। उक्त विभागों के अधिकारियों द्वारा इस जलकुंभी को रोकने अथवा हटाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए हैं। अगर उनके द्वारा सार्थक प्रयास किए जाते तो शायद यह जलकुंभी झील को अपनी चपेट में नहीं लेती। अधिकारियों की इस लापरवाही पर कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्ति की है। हाई कोर्ट ने ईई पीएचई, सीसीएफ, ईई सिंचाई विभाग सहित नपा सीएमओ को 5 अगस्त 2025 को कोर्ट में पेश होने का आदेश सुनाया है।
न जलकुंभी हटी और न सीवर का पानी
इसी प्रकार एडवोकेट अभय जैन ने भी एनजीटी में एक याचिका दायर की गई है। उक्त याचिका की सुनवाई के दौरान 19 नवम्बर 2024 को न्यायालय ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि जाधव सागर और चांदपाठा से हर हाल में जलकुंभी हटाई जाए। इसके अलावा जाधव सागर, सांख्य सागर और करबला क्षेत्र में सभी अत्रिक्रमण हटाए जाएं। जाधव सागर से कचरा रोकने के लिए एक मल्टीलेयर स्क्रीन वाल तैयार की जाए। जाधव सागर और संख्या सागर के चारों तरफ फेंसिंग और सूचना पटल लगाए जाएं। जाधव सागर और चांदपाठा में कोई भी काम राज्य वेटलैंड अथोरिटी से परामर्श बिना नहीं किया जाए। नगर पालिका और पीएचई दोनों झीलों में सीवर के पानी को रोकने की दिशा में काम करें। आज तक उक्त निर्देशों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इस बार ग्वालियर हाई कोर्ट ने की यह टिप्पणी
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पिछले 9-10 सालों से है, परंतु जिम्मेदार अधिकारियों ने सीवर लाइन का कनेक्शन नहीं जोड़ा है। यही कारण है कि गंदगी को नालों के माध्यम से करबला की ओर डायवर्ट करना पड़ रहा है। इस वजह से शहर का पूरा सीवर चांदपाठा झील तक पहुंच रहा है। यही कारण है कि इस ऐतिहासिक झील में जलकुंभी बढ़ रही है।
झील को साफ करने के लिए आपके द्वारा जो एक-दो फ्लोटिंग वीड कलेक्टर वोट लगाई गई हैं वह पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि यह मशीन अगर एक दिन में दस मीटर क्षेत्र साफ करती है तो जलकुंभी 40 मीटर क्षेत्र में यानि चार गुना तेजी से बढ़ती है।
झील में जा रहे सीवर को कंट्रोल नहीं किया गया तो झील के पानी में से आक्सीजन समाप्त हो जाएगी, पूरा पानी विषैला हो जाएगा, जिसके कारण झील में जलीय जीवों का जीवित रहना मुश्किल जाएगा। इसे पीया नहीं जा सकेगा और इससे सिंचाई भी नहीं कर पाएंगे।