सागर शर्मा शिवपुरी:खबर को समझे नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने शिवपुरी में पदस्थ दो सहायक यंत्रियों और उपयंत्रियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इनके खिलाफ की गई जांच में पाया गया कि निर्माण कार्य के दौरान 16.13 लाख रुपए की गिट्टी-डस्ट कम उपयोग की गई और इसका भुगतान कर दिया गया।
कलेक्टर शिवपुरी ने नगरपालिका में व्यापक अनियमितता के लिए सीएमओ और नगरपालिका अध्यक्ष समेत वित्त विभाग के अफसरों को जिम्मेदार बताते हुए सभी के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। इसके बाद नगरीय विकास और आवास विभाग के आयुक्त संकेत भोंडवे ने दो इंजीनियरों पर एफआईआर कराने के निर्देश दिए।
शिवपुरी कोतवाली पुलिस ने पटवारी रवि प्रकाश लोधी की रिपोर्ट पर नपा में पदस्थ उपयंत्री जितेंद्र परिहार, सहायक यंत्री सतीश निगम और ठेकेदार अर्पित शर्मा के खिलाफ केस दर्ज किया है। कलेक्टर की टीम ने शिवपुरी के वार्ड क्रमांक 1, 7, 17, 31, 36 व 39 में जाकर जब देखा तो 16,13,906 रुपए का कम मटेरियल पाया गया।
दूसरे शब्दों में इतनी राशि का भुगतान ठेकेदार ने बिना माल खपाए ही नपा के सहायक यंत्री सतीश निगम, उपयंत्री जितेंद्र परिहार की मदद से बिना ले लिया। शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है।
शिवपुरी कलेक्टर की रिपोर्ट में ये खास बातें आई सामने
शिवपुरी कलेक्टर ने नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा दिए गए निर्देश के बाद शिवपुरी नगरपालिका में हुआ कार्यों की जांच कराई तो पाया गया कि इसके लिए सीएमओ शिवपुरी नगरपालिका और उपयंत्री व सहायक यंत्री जिम्मेदार हैं। इसके बाद शिवपुरी कलेक्टर रवींद्र चौधरी ने शासन को दी गई रिपोर्ट में कहा है कि नगरपालिका शिवपुरी में निरंकुशता की स्थिति है।
कार्यालय के कर्मचारियों में अपने कार्य के प्रति और लोगों को सेवाएं देने को लेकर व्यापक उदासीनता है। ऐसे में वित्तीय और प्रशासनिक अनुशासन का घोर उल्लंघन पाए जाने के चलते मुख्य नगरपालिका अधिकारी शिवपुरी ईशांक धाकड़ के अलावा पूर्व सीएम केशव सिंह सगर तथा शिवपुरी नगरपालिका के अध्यक्ष जवाबदेह हैं। इनके खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।
2022 से 2025 के बीच हुए कामों में मिली गड़बड़ी
इसके साथ ही कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में अगस्त 2022 से जून 2025 तक नगरपालिका में पदस्थ रहे वित्त विभाग के स्थानीय निधि संपरीक्षा अंकेक्षण दल के खिलाफ भी कार्यवाही के लिए लिखा है। यहां की वित्तीय गड़बड़ियों पर एक्शन के लिए स्पेशल आडिट कराने को भी कहा गया है।
बताया गया कि जांच के दौरान भवन निर्माण स्वीकृति पोर्टल पर 88 केस दर्ज मिले जिसमें से 55 समय सीमा के बाहर थे। इसमें से 16 मामले प्रोसेस पूरी होने के बाद भी शिवपुरी सीएमओ की आईडी पर पेंडिंग पाए गए हैं।
जांच में यह बात भी सामने आई है कि एक लाख रुपए से कम की सामग्री स्थानीय टेंडर के माध्यम से खरीदने के प्रावधान के मामले में एक ही फर्म को बार-बार पेमेंट किया जाना पाया गया है जबकि इसके लिए ई टेंडर के माध्यम से खरीदी की जाना थी।
954 काम में से 211 ही हो पाए हैं पूरे
नगरपालिका में साल 2022 से अब तक 954 काम मंजूर हुए जिस पर 75 करोड़ 89 लाख 71 हजार 961 रुपए मंजूर किए गए और इसमें से 211 काम ही पूरे हुए हैं, जिसकी कुल लागत 18 करोड़ 10 लाख है। इसमें 11 करोड़ 47 लाख 65 हजार 208 रुपए का भुगतान कर दिया गया है।
इस तरह पूरे हो चुके कामों में से 6 करोड़ 62 लाख 35 हजार 342 का पेमेंट किया जाना बाकी है। इस तरह 2022 से अब तक कुल 743 काम जिनकी लागत 57 करोड़ 79 लाख 71 हजार 411 रुपए है, अपूर्ण हैं या इन कामों की शुरुआत नहीं हो सकी है या इसके टेंडर नहीं हो सके हैं।
जांच में यह बात भी सामने आई है कि कई कामों में 4 से 8 माह तक पेमेंट नहीं किया गया है जबकि कुछ भुगतान ऐसे भी मिले हैं, जिसमें एक से 2 माह के भीतर से पेमेंट हुआ है। जो 11.47 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है उसमें से 5.09 करोड़ का पेमेंट दो फर्मों को किया गया है, जिसके खिलाफ अन्य ठेकेदारों ने शिकायत की है। जांच दल को सभी मामलों की फाइल भी नहीं दी गई है। अधिकांश फाइलें नपा अध्यक्ष के घर पर पाई जाती हैं।
इनसे वापस लिया प्रभार
जनपद शिक्षा केंद्र करैरा में पदस्थ उपयंत्री राजेंद्र पंचवेदी को अपने काम के साथ शिवपुरी नगरपालिका का काम सौंपा गया था। अब उनका अतिरिक्त प्रभार खत्म कर दिया गया है।
जिला शिक्षा केंद्र शिवपुरी में पदस्थ सहायक यंत्री सतीश निगम को अपने मुख्य काम के साथ नगरपालिका शिवपुरी में सहायक यंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, अब नगरपालिका के काम से मुक्त कर दिया गया है।
जनपद शिक्षा केंद्र शिवपुरी में पदस्थ उपयंत्री जितेंद्र सिंह परिहार को नगर पालिका शिवपुरी में अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी जो वापस ले ली गई है।