इस्तीफा देने वाले सदस्यों ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जनपद में मनमाने तरीके से बैठकें बुलाई जा रही हैं। भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सदस्यों ने बताया कि 2023-24 की स्वीकृत कार्ययोजना पर दोबारा बैठक बुलाई गई। यह पंचायती राज एक्ट की धारा 45 का उल्लंघन है। नियम के अनुसार पास प्रस्ताव को छह माह बाद ही पुनः रखा जा सकता है।
भ्रष्टाचार और पक्षपात का भी आरोप
इस्तीफा देने वालों में उपाध्यक्ष मोहर सिंह पडेरिया और पूर्व उपाध्यक्ष रामवीर सिंह यादव प्रमुख हैं। सदस्यों ने जनपद अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पहले अध्यक्ष उनके साथ थीं। बाद में राजनीतिक खेमे की अदला-बदली से स्थिति बिगड़ी। इससे पंचायत की बैठकों में टकराव बढ़ा और कामकाज ठप हुआ।
सभी 14 सदस्यों ने अपने इस्तीफे में स्पष्ट किया है कि नियमों की अनदेखी, बिना सहमति प्रस्तावों को दोबारा लाना और बहुमत की अनदेखी से काम करना असंभव हो गया है। इस्तीफा देने वालों में विभिन्न वार्डों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें कृष्णभान सिंह यादव, मोहरध्वज यादव, संगीता पटेलिया, रंजना शर्मा, जानकी बाई, रामवती आदिवासी, गुड्डी बाई रघुवंशी, प्रेमलता जाटव, समीक्षा यादव, नीतू यादव, रीना जाटव, हीरालाल आदिवासी और गुड्डी बाई लोधी प्रमुख हैं।