यह मामला एक महीने पहले सामने आया था, जब वार्ड क्रमांक 1, 7, 17, 31, 36 और 39 में हुए कत्तल, मुरम व डब्ल्यूएमएम कार्यों में भारी गड़बड़ी पकड़ी गई थी। जांच में पाया गया कि सहायक यंत्री सतीश निगम, उपयंत्री जितेंद्र परिहार और ठेकेदार अर्पित शर्मा मालिक, शिवम कंस्ट्रक्शन ने सरकारी धन का गबन कर फर्जी माप पुस्तिकाओं के आधार पर भुगतान लिया।
कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी के निर्देश पर एसडीएम अनुपम शर्मा ने मौके पर भौतिक सत्यापन किया। जांच में सामने आया कि लगभग 1.83 लाख रुपए के GSB मटेरियल के बदले 5.14 लाख रुपए का भुगतान और 7.99 लाख रुपए के WMM व डस्ट मटेरियल के बदले 18.99 लाख रुपए का भुगतान किया गया। कुल मिलाकर 16 लाख 13 हजार 906 रुपए कर अतिरिक्त का अधिक भुगतान किया गया।
सीएमओ ईशांक धाकड़ ने 21 जुलाई को दोनों इंजीनियरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन जवाब नहीं मिलने पर एफआईआर दर्ज कराने की अनुशंसा की। इसके बाद तहसीलदार की रिपोर्ट पर थाना कोतवाली में तीनों आरोपियों पर केस दर्ज किया गया।
मामले में एसडीओपी संजय मिश्रा ने बताया, सहायक यंत्री और उपयंत्री की गिरफ्तारी हो चुकी है, वहीं ठेकेदार की तलाश अलग-अलग पुलिस टीमें कर रही हैं। मामले में पार्षदों के बयान दर्ज होना बाकी था, जिसे अब पूरा कर लिया गया है।