शिवपुरी में कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी ने 18 पार्षदों के सामूहिक इस्तीफों को अमान्य कर दिया है। इन पार्षदों में 12 भाजपा, 4 कांग्रेस और 2 निर्दलीय सदस्य शामिल हैं।
यह मामला 11 जून 2025 से शुरू हुआ। उस दिन 22 पार्षदों ने करैरा के हनुमान मंदिर में शपथ ली थी। उन्होंने कहा था कि अगर नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा को नहीं हटाया गया तो वे सामूहिक इस्तीफा देंगे। 28 अगस्त को 18 पार्षदों ने अपनी शपथ निभाते हुए एडीएम दिनेश चंद्र शुक्ला को इस्तीफे सौंप दिए।
'इस्तीफे विधिसम्मत प्रक्रिया के अनुसार मान्य नहीं'
कलेक्टर ने 3 सितंबर को इन इस्तीफों की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि सामूहिक रूप से दिए गए इस्तीफे विधिसम्मत प्रक्रिया के अनुसार मान्य नहीं हैं।
अध्यक्ष के खिलाफ इन पार्षदों का इस्तीफा
इस्तीफा देने वालों में नगर पालिका उपाध्यक्ष सरोज रामजी व्यास, भाजपा पार्षद विजय शर्मा, राजा यादव, ताराचंद राठौर, रीना कुलदीप शर्मा, ओमप्रकाश जैन ओमी, नीलम अनिल बघेल, सरोज महेन्द्र धाकड़,
प्रतिभा गोपाल शर्मा, मीना पंकज शर्मा, कांग्रेस पार्षद मोनिका सीटू सरैया, संजय गुप्ता, ममता बाईसराम धाकड़, कमलाकिशन शाक्य, रितु जैन, निर्दलीय राजू गुर्जर और गौरव सिंघल शामिल हैं। इसके अलावा रितु रत्नेश जैन ने अलग से इस्तीफा दिया था।
शपथ के पीछे की बड़ी वजहें-
शहर में सफाई, पानी और नालियों की हालत खराब है, जिसे लेकर कोई सुनवाई नहीं होती।
अध्यक्ष गायत्री शर्मा अपने हिसाब से काम करती हैं, पार्षदों की बात नहीं सुनी जाती।
अध्यक्ष के बेटे पर दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ है।
खुद अध्यक्ष पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं, शिकायतें लोकायुक्त में हैं।
पार्षदों का कहना है कि लोग ढाई साल से परेशान हैं, अब बदलाव जरूरी है।
अब इन पार्षदों के पास न्यायालय जाने का विकल्प बचा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर मामला अदालत में जाता है, तो नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ संघर्ष लंबा चल सकता है।