परिषद ने आरोप लगाया कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासियों के साथ दबंगों द्वारा मारपीट और अन्याय की घटनाएं लगातार हो रही हैं, लेकिन पुलिस-प्रशासन इन पर प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहा है। कई मामलों में एफआईआर तभी दर्ज होती है जब शिकायत पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक पहुंचती है, जबकि अन्य मामलों में आदिवासियों को डरा-धमकाकर चुप करा दिया जाता है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि आदिवासियों के विकास के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। परिषद ने प्रशासन पर दबंगों को संरक्षण देने का आरोप भी लगाया।
छेड़खानी, अवैध शराब के मामलों में कार्रवाई की मांग
परिषद की प्रमुख मांगों में मायापुर थाना क्षेत्र के कंचनपुरा गांव में आदिवासी युवतियों के साथ छेड़छाड़ और मारपीट के आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी शामिल है। इसके अलावा, आदिवासी बस्तियों में संचालित अवैध शराब दुकानों को हटाने और नशा मुक्ति अभियान चलाने की मांग की गई है।
अन्य मांगों में वन विभाग द्वारा आदिवासियों के साथ भेदभावपूर्ण कार्रवाई बंद करने, दबंगों से वन भूमि मुक्त कराने और आदिवासियों की आत्मरक्षा के लिए बंदूक लाइसेंस जारी करने की मांग प्रमुख है। परिषद ने 'आदि कर्मयोगी अभियान' में आदिवासियों से सुझाव लेकर विजन प्लान तैयार करने और आदिवासी क्षेत्रों में बिजली, पानी, सड़क तथा रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की भी मांग की।
भ्रष्टाचार के मामलों की जांच हो
राजस्व विभाग से फौती-नामांतरण के लंबित प्रकरणों का शीघ्र निपटारा करने, सहरिया जनजाति के युवक-युवतियों को नियम 4 (ख) के तहत सीधी भर्ती का लाभ देने की मांग भी की गई। संगठन ने ग्राम पटेवरी में तालाब निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई और ग्राम बीलबरखुर्द में आदिवासियों की जमीन पर कब्जा हटवाने की मांग भी उठाई।
टोडा पंचायत के ग्राम मेहरगड़ा को 'आदि कर्मयोगी अभियान' में शामिल करने की मांग भी ज्ञापन में शामिल है। सहरिया विकास परिषद ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र अमल नहीं किया गया, तो वे चरणबद्ध आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।