9 साल से जारी परंपरा जारी
खटीक समाज पिछले 9 वर्षों से गणपति मंदिर दुर्गा पंडाल में मां काली की प्रतिमा स्थापित करता आ रहा है। प्रतिमा की 9 दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना और आराधना की जाती है तथा दसवें दिन विशाल विसर्जन जुलूस निकालकर माता को विदा किया जाता है।
हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे
गुरुवार को निकले विसर्जन जुलूस में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। भक्तों ने मां काली की प्रतिमा को कंधों पर रखकर सईसपुरा से यात्रा शुरू की। जुलूस मीट मार्केट, कमलागंज, माधव चौक, पुराना बस स्टैंड से होता हुआ दो बत्ती चौराहे पहुंचा। यहां गणेश कुंड पर विधिविधान से प्रतिमा का विसर्जन किया गया।
भागते हुए उठाते हैं प्रतिमा
शिवपुरी में मां काली का यह विसर्जन अनोखा माना जाता है। परंपरा के अनुसार, खटीक समाज के युवा और श्रद्धालु प्रतिमा को कंधों पर उठाकर दौड़ते हुए विसर्जन स्थल तक ले जाते हैं। इस दौरान किसी भी प्रकार का डीजे या बैंड नहीं बजाया जाता, बल्कि सिर्फ “काली-काली जय मां काली" के जयकारे गूंजते हैं। यह अद्भुत दृश्य भक्तों की आस्था और ऊर्जा का प्रतीक बन जाता है।
सईसपुरा गणपति मंदिर पर बीते 9 वर्षों से यह परंपरा निभाई जा रही है। प्रतिवर्ष नवरात्र के दौरान यहां काली माता की प्रतिमा स्थापित कर खटीक समाज सामूहिक पूजा करता है और दशहरे पर उत्साह और भक्ति भाव के साथ विसर्जन संपन्न करता है।