ग्रामीणों ने बताया कि 29 सितंबर की सुबह करीब 10 बजे साध्वी राधिकादास गुरु रामचरणदास (निवासी बेलबनगांव आश्रम वृंदावन जिला मथुरा), साध्वी दुर्गादेवी पुत्री गोविंद प्रसाद गौतम, नारायण प्रसाद आचार्य और साध्वी लक्ष्मीदेवी ग्राम ख्यावदा के हनुमान मंदिर पर पूजा कर रहे थे। इसी दौरान गांव की राजकुमारी परिहार, उसका बेटा राजू परिहार और अरविंद परिहार वहां पहुंचे।
आरोप है कि इन लोगों ने पहले माइक बंद करवाया और फिर साध्वियों व आचार्य को गालियां दीं। जब साध्वी दुर्गादेवी ने विरोध किया तो राजू परिहार और अरविंद परिहार ने उनके साथ मारपीट की, बाल पकड़कर घसीटा और पेट व सीने पर लातें मारीं।
साध्वी के चेहरे पर मुक्का मारा, खून निकला
साध्वी राधिकादास जब बीच-बचाव करने पहुंचीं तो राजकुमारी परिहार ने उनके बाल पकड़कर मुंह पर मुक्का मार दिया। इससे साध्वी का होठ फट गया और खून निकल आया। साध्वी लक्ष्मीदेवी को भी पीटा गया।
ग्रामीणों ने बताया कि घटना के बाद से अब तक न तो दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरा हो पाया है और न ही हवन-भंडारा। उनका कहना है कि जब तक आरोपियों पर सख्त कार्रवाई और साध्वियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त नहीं होगी, तब तक पूजा-पाठ अधूरा ही रहेगा।
पुलिस पर पक्षपात का आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि घटना की सूचना तत्काल 112 नंबर पर दी गई थी, लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। बाद में साध्वियां जब पुलिस चौकी मगरौनी गईं तो उनकी रिपोर्ट दर्ज करने में टालमटोल की गई। दबाव पड़ने पर अगले दिन एफआईआर तो दर्ज हुई लेकिन उसमें मुख्य आरोपी जितेंद्र परिहार का नाम हटा दिया गया और उल्टा साध्वियों के खिलाफ ही झूठी रिपोर्ट दर्ज कर ली गई।
ज्ञापन सौंपकर की कार्रवाई की मांग
इस पूरे मामले से नाराज ग्रामीण शुक्रवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की कि साध्वियों के खिलाफ दर्ज झूठी एफआईआर निरस्त की जाए और हमलावर राजकुमारी परिहार, राजू परिहार, अरविंद परिहार और जितेंद्र परिहार पर निष्पक्ष जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाए।