प्रशासन इस विवाद को रोकने के लिए सतर्क है। कुछ दिन पहले कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने भी प्रेसवार्ता कर स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया था। जिले में पहले चरण में शिवपुरी शहर के 47 हजार सहित कुल 1 लाख 23 हजार स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं। अब तक लगभग 6 हजार मीटर लगाए जा चुके हैं।
विधायक कैलाश कुशवाह का आरोप है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जहां पहले छोटे परिवारों का बिल 400-500 रुपए आता था, वह अब 4000 रुपए तक पहुंच गया है। इसी तरह 1000 रुपए वाला बिल 10 हजार रुपए तक हो गया है।
कुशवाह ने जनता से अपील की है कि वे अपने घरों में स्मार्ट मीटर न लगवाएं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये मीटर 'अदानी-अंबानी की जेबें भरने' का माध्यम हैं और इनसे परिवारों का बजट बिगड़ जाएगा।
वहीं, ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने दावा किया है कि स्मार्ट मीटर और साधारण मीटर के आंकड़ों में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने बताया कि इसका ट्रायल भी किया जा चुका है। मंत्री के अनुसार, स्मार्ट मीटर सही आकलन करते हैं और उपभोक्ता ऐप के जरिए अपनी खपत खुद देख सकते हैं। विभाग भी एक ही स्थान से सभी मीटरों की यूनिट देख सकेगा।
हालांकि, जब ऊर्जा मंत्री से यह पूछा गया कि यदि दोनों मीटरों में कोई अंतर नहीं है, तो नए स्मार्ट मीटर लगाने की आवश्यकता क्या है, तो उन्होंने इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। स्मार्ट मीटर को लेकर जिले में जारी यह विवाद फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है। प्रशासन, सरकार और विपक्ष तीनों की अलग-अलग दलीलें जनता को और असमंजस में डाल रही हैं।