सागर शर्मा शिवपुरी:शिवपुरी के नर्सरी ग्राउंड में सोमवार को बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हिंदुत्व, धर्म और राम के खिलाफ खड़े लोगों का त्याग करने वाला त्यागी है। जो राम का नहीं, तो किसी काम का नहीं।
ऐसे लोगों का त्याग ही श्रेष्ठ त्याग है। हमारा उद्देश्य है कि भारत में जातिवाद, ऊंच-नीच और छुआछूत की लड़ाई खत्म हो। लोग राष्ट्रवाद के लिए जिएं और भारत विश्व गुरु बने।
उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र कागजों में नहीं विचारों में होना चाहिए।
दुनिया को संभालने से पहले अपने घर को संभाला जाता है। मध्यप्रदेश हमारा घर है। जब तक एमपी का हर जिला हिंदुत्व की विचारधारा वाला होगा, तभी भारत पक्का हिंदू राष्ट्र बनेगा। हमें कागजों में नहीं, विचारों में हिंदू राष्ट्र चाहिए।
धीरेंद्र शास्त्री
बागेश्वर धाम, पीठाधीश्वर
शास्त्री ने कथावाचक चित्रलेखा की कथा के अंतिम दिन उन्होंने बगीचा वाली काली मां और बगीचा वाले हनुमान के दर्शन किए।
धीरेंद्र शास्त्री कथा शुरू होने से पहले करैरा पहुंचे, जहां कथावाचक चित्रलेखा की कथा के अंतिम दिन उन्होंने बगीचा वाली काली मां और बगीचा वाले हनुमान के दर्शन किए। यहां उन्होंने कहा कि वह एक वर्ष के भीतर करैरा में पुनः कथा करने आएंगे।
इसके बाद वे शिवपुरी कथा स्थल पहुंचे, जहां प्रथम दिन की आरती में वाल्मीकि समाज को मंच दिया गया। गुरुवंदना और कथा की पारंपरिक आरती के बाद शास्त्री ने कृष्ण भजन के साथ अपने मुख से श्रीमद् भागवत गीता के पाठ की गंगा प्रवाहित की।
धीरेंद्र शास्त्री बोले- यात्रा में धमाकों के बाद भी डरे नहीं शास्त्री ने शिवपुरी में कलश यात्रा को “सनातन हिंदू एकता का भव्य स्वरूप" बताते हुए कहा कि वह साधारण व्यक्ति हैं, उनका कोई प्रोटोकॉल नहीं है। उन्होंने कहा कि फरीदाबाद में हुए धमाकों के दौरान भी वह नहीं डरे और यात्रा में शामिल रहे।
कथा में उन्होंने सामाजिक समरसता और राष्ट्रवाद का संदेश देते हुए कहा कि आज पहले ही दिन वाल्मीकि समाज आरती में शामिल हुआ। हमारा उद्देश्य है कि भारत में जातिवाद, ऊंच-नीच और छुआछूत की लड़ाई खत्म हो। लोग राष्ट्रवाद के लिए जिएं और भारत विश्व गुरु बने।
उन्होंने शिवपुरी से जुड़े विशेष संयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि बागेश्वर धाम से ओरछा रामलला तक निकाली गई पिछली पदयात्रा के बाद करैरा में कथा हुई थी और दिल्ली से वृंदावन यात्रा के बाद अब शिवपुरी में कथा हो रही है।
शास्त्री ने बताया कि दिल्ली-वृंदावन के बीच निकली धर्म यात्रा के समापन पर वृंदावन में 15 लाख लोगों ने एक साथ बैठकर यह संकल्प लिया कि वे भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं।
कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
बोले- हिंदुत्व, धर्म और राम के खिलाफ खड़े लोगों का त्याग करने वाला त्यागी
कथा में आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज हम सुभाषचंद्र बोस को पड़ोस में देखना चाहते हैं, लेकिन अपने घर में नहीं देखना चाहते। त्यागी वह नहीं जो सांसारिक वस्तुओं का त्याग करे, बल्कि त्यागी वह है जो हिंदुत्व, धर्म और राम के खिलाफ खड़े लोगों का त्याग करे। वही श्रेष्ठ त्याग है।
पदयात्रा के दौरान उनसे मिले एक व्यक्ति का जिक्र करते हुए शास्त्री ने कहा कि उसने कहा यह सेकुलर देश है। तो हमने भी कह दिया जिसे पाकिस्तान से प्रेम है, वह लाहौर की टिकट कटवा ले। जिन्हें वंदे मातरम् या भारत माता की जय बोलने में दिक्कत है, जिन्हें राम के राष्ट्र में रहने में दिक्कत हो, वे पाकिस्तान का टिकट ले लें।