प्रदेशभर में कोटवारों के साथ हो रहा अन्याय
ज्ञापन में कोटवारों ने बताया कि प्रदेश के कई जिलों में कोटवारों के पदों को लेकर गलत और अन्यायपूर्ण फैसले लिए जा रहे हैं। भिंड जिले की अटेर तहसील में 31 कोटवारों को अवैध तरीके से हटा दिया गया, जबकि मौ तहसील में 6 कोटवारों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं और उनकी भूमि पर कब्जा कर लिया गया। खंडवा जिले की पंधाना तहसील में एक कोटवार की संदिग्ध हालात में मौत भी हुई है, जिसकी निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।
वर्दी वितरण में भी भ्रष्टाचार के आरोप
कोटवार संघ ने वर्दी वितरण में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ जिलों में वर्दी की गुणवत्ता बेहद खराब रही और वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
दबंगों की सिफारिश पर कोटवारों को हटाने के आरोप
श्योपुर जिले में कलेक्टर द्वारा दो कोटवारों को अनुपस्थित बताए जाने पर हटाने के आदेश दिए गए हैं, जबकि सिहोर जिले में एक प्रभावशाली व्यक्ति की सिफारिश पर मूल कोटवार को हटा दिया गया और उसके स्थान पर उस व्यक्ति के घरेलू नौकर को नियुक्त कर दिया गया।
आज तक लागू नहीं हुए महापंचायतों के निर्णय
कोटवारों का कहना है कि वर्ष 2007 और 2023 में आयोजित महापंचायतों में कई अहम निर्णय लिए गए थे, लेकिन आज तक उन्हें लागू नहीं किया गया। वहीं, प्रदेशभर में सौंपे गए ज्ञापनों पर भी सरकार ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
मानदेय में वृद्धि और पारदर्शी भुगतान व्यवस्था की मांग
ज्ञापन के दौरान कोटवार अतर सिंह गोलिया ने कोटवारों के मानदेय में ₹500 की वृद्धि और वर्दी का पैसा सीधे कोटवारों के खातों में ट्रांसफर किए जाने की मांग भी उठाई। कोटवारों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे भोपाल में होने वाली तिरंगा यात्रा के बाद आंदोलन को और तेज करेंगे।