सागर शर्मा शिवपुरी: खबर शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा क्षेत्र में सिंध नदी पर बने स्टॉप डैम के गेट बारिश थमने के कई दिनों बाद भी खुले हुए हैं। इस लापरवाही के कारण नदी का जलस्तर तेजी से घट रहा है, जिससे किसानों में चिंता बढ़ गई है और अवैध रेत खनन माफिया के सक्रिय होने का खतरा मंडरा रहा है।
जल संसाधन विभाग द्वारा डैम के गेट बंद न किए जाने से वह पानी जो किसानों की सिंचाई के लिए सुरक्षित रखा जाना था, वह तेजी से बह रहा है। बारिश रुके काफी समय हो चुका है, लेकिन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
नदी के सूखने की कगार पर पहुंचने से आगामी रबी सीजन की सिंचाई पर गंभीर असर पड़ने की आशंका है। किसानों का कहना है कि यह समय खेतों को तैयार करने और नमी बनाए रखने का है, ऐसे में पानी का बह जाना सीधे तौर पर कृषि को नुकसान पहुंचा रहा है। ग्रामीणों ने इसे विभागीय लापरवाही बताया है।
पिछले साल की तरह अवैध खनन की स्थिति
स्थानीय लोगों के अनुसार, सिंध नदी में जलस्तर घटते ही अवैध रेत खनन आसान हो जाता है। पिछले साल भी पानी कम होने के बाद कई स्थानों पर खुलेआम रेत निकाली गई थी। अब फिर से वही स्थिति बन रही है।
ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि यदि गेट तुरंत बंद नहीं किए गए, तो आने वाले दिनों में नदी का एक बड़ा हिस्सा सूख जाएगा। इससे रेत माफिया मशीनों और ट्रैक्टरों का उपयोग कर रातों-रात रेत निकालना शुरू कर देंगे, जिससे नदी की संरचना और पर्यावरण दोनों को भारी क्षति होगी।
रबी फसलों की बुवाई इसी पानी पर निर्भर
किसानों का कहना है कि सिंध नदी इस क्षेत्र की जीवनरेखा है। धान की कटाई के बाद गेहूं, चना और सरसों जैसी रबी फसलों की बुवाई इसी पानी पर निर्भर करती है। एक किसान ने बताया कि उनका कृषि कैलेंडर पानी की उपलब्धता के अनुसार तय होता है, और पानी की कमी से दिसंबर में खेतों की सिंचाई मुश्किल हो जाएगी।
कई गांवों में किसान पहले से ही नलकूपों पर निर्भर हैं, लेकिन बिजली के बढ़ते खर्च और बढ़ती लागत के कारण यह विकल्प भी उनके लिए चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि संबंधित विभाग हर साल गेट बंद करने की कहता है लेकिन समय पर कार्रवाई नहीं होती। इस बार उम्मीद है कि प्रशासन तुरंत कदम उठाए और भविष्य में भी डैम संचालन की स्पष्ट समय-सारिणी तय करे।